महात्मा गांधी नरेगा योजना: जानें कैसे यह योजना बदल रही है ग्रामीणों की जिंदगी!

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महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) के तहत नंदन फलोद्यान योजना ग्रामीण किसानों और बेरोजगारों को रोजगार और वित्तीय सहायता प्रदान करने की एक महत्वपूर्ण पहल है। यह योजना विशेष रूप से गरीब और हाशिए पर खड़े वर्गों के लिए है, जिनकी आजीविका का आधार कृषि और श्रम कार्य है। यह योजना 2 फरवरी 2006 को शुरू की गई थी और इसके बाद से लाखों ग्रामीण परिवारों को इसका लाभ मिला है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करना और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को सहायता प्रदान करना है।

योजना का उद्देश्य

महात्मा गांधी नरेगा-नंदन फलोद्यान योजना का मुख्य उद्देश्य महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत पात्र हितग्राही की निजी भूमि पर उद्यानिकी प्रजाति के फलोदयान का विकास करना है। इस योजना के माध्यम से पात्र लाभार्थी ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी निजी भूमि पर फलोद्यान स्थापित कर सकते हैं, जिससे न केवल उनकी आय में वृद्धि होती है बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी सुधार आता है।

पात्रता और चयन प्रक्रिया

इस योजना के तहत पात्रता और लाभार्थी चयन प्रक्रिया को विशेष रूप से गरीब और हाशिए पर खड़े वर्गों के लिए तैयार किया गया है। पात्रता के अंतर्गत निम्नलिखित वर्गों के लोग आते हैं:

  • अनुसूचित जाति/जनजाति के परिवार
  • गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार
  • इंदिरा आवास योजना के हितग्राही
  • लघु एवं सीमांत कृषक

लाभार्थियों में किसान, महिला, पुरुष, बेरोजगार, परित्यक्ता, विधवा, अनाथ बालक-बालिका, वृद्ध, दिव्यांग, अंत्योदय परिवार आदि शामिल हैं। इन सभी पात्र व्यक्तियों को इस योजना का लाभ मिलता है।

योजना के लाभ

नंदन फलोद्यान योजना के तहत लाभार्थियों को दो मुख्य प्रकार के कार्यों का लाभ मिलता है:

  1. श्रमिक कार्य: इस योजना के अंतर्गत लाभार्थी मजदूरी का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। मजदूरी का भुगतान 15 दिनों के भीतर किया जाता है, और इस प्रक्रिया के लिए ग्राम पंचायत में काम की मांग करना आवश्यक है।
  2. हितग्राहीमूलक कार्य: इस योजना के तहत शत प्रतिशत अनुदान के रूप में हितग्राहियों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिससे वे अपने उद्यानिकी प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक पूरा कर सकें।
विभागपंचायत और ग्रामीण विकास विभाग
योजना का नाममहात्मा गांधी नरेगा – नंदन बागवानी योजना
अधिकारिताकेंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजना
योजना की शुरुआत2 फरवरी 2006
उद्देश्यपात्र लाभार्थियों की निजी भूमि पर बागवानी के अंतर्गत फलदार पौधों का विकास करना
लाभार्थी चयन के मापदंड– अनुसूचित जाति/जनजाति के परिवार
– गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार
– इंदिरा आवास योजना के लाभार्थी
– लघु एवं सीमांत किसान
लाभार्थी वर्गगरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोग
लाभार्थियों के प्रकारकिसान, महिलाएं, पुरुष, बेरोजगार, परित्यक्ता, विधवा, विधुर, अनाथ, ग्रामीण, बुजुर्ग, खिलाड़ी, दिव्यांग, मजदूर, निःशक्त, अंत्योदय परिवार, बेसहारा, अन्य
लाभ की श्रेणीश्रमिक कार्य और लाभार्थी आधारित कार्य
योजना का क्षेत्रग्रामीण इलाके
आवेदन कहां करेंग्राम पंचायत
जिम्मेदार अधिकारीग्राम रोजगार सहायक
मजदूरी भुगतान की समय सीमा15 दिन
आवेदन की प्रक्रियाग्राम पंचायत में काम की मांग करना
आवेदन शुल्ककोई शुल्क नहीं
अपील करने का अधिकारजनपद पंचायत के सीईओ
वित्तीय सहायताश्रमिक भुगतान और लाभार्थी आधारित कार्यों में 100% अनुदान
भुगतान प्रक्रियामजदूरों और लाभार्थियों के खातों में इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भुगतान, 100 दिन का रोजगार
प्रस्तुत करने वाले दस्तावेजयोजना से संबंधित दस्तावेज संलग्न करें

आवेदन प्रक्रिया और शुल्क

महात्मा गांधी नरेगा-नंदन फलोद्यान योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया बेहद सरल और पारदर्शी है। आवेदन ग्राम पंचायत के माध्यम से किया जाता है। इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता, यानी यह एक नि:शुल्क सेवा है। आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद, मजदूरी या अनुदान का भुगतान इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सीधे लाभार्थी के खाते में किया जाता है।

पदभिहित अधिकारी और समय सीमा

इस योजना के लिए पदभिहित अधिकारी ग्राम रोजगार सहायक होते हैं। मजदूरी भुगतान के लिए 15 दिनों की समय सीमा निर्धारित की गई है, जिसके भीतर लाभार्थियों को उनका भुगतान किया जाता है। अगर किसी लाभार्थी को योजना के तहत किसी भी प्रकार की समस्या आती है, तो वे जनपद पंचायत सी.ई.ओ. के पास अपील कर सकते हैं।

योजना से जुड़े दस्तावेज़

महात्मा गांधी नरेगा-नंदन फलोद्यान योजना से जुड़ने के लिए लाभार्थियों को कुछ आवश्यक दस्तावेज़ जमा करने की आवश्यकता होती है। इनमें उनके व्यक्तिगत पहचान पत्र, गरीबी रेखा का प्रमाणपत्र, बैंक खाता विवरण आदि शामिल हैं। इन दस्तावेजों को ग्राम पंचायत में आवेदन के साथ संलग्न किया जाता है।

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