40 की उम्र के बाद चश्मे से छुटकारा! नई आई ड्रॉप्स से मिलेगी राहत

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भारत में चश्मे की ज़रूरत को खत्म करने वाली नई आई ड्रॉप्स को मंजूरी

भारत की ड्रग नियामक एजेंसी ने हाल ही में एक नई आई ड्रॉप्स को मंजूरी दी है, जो प्रिस्बायोपिया से पीड़ित लोगों को चश्मे की ज़रूरत से छुटकारा दिला सकती है। प्रिस्बायोपिया एक ऐसी दृष्टि समस्या है, जो उम्र बढ़ने के साथ अधिकतर लोगों को प्रभावित करती है। यह समस्या आमतौर पर 40 साल की उम्र के बाद शुरू होती है और 60 की उम्र तक बढ़ती जाती है। मुंबई स्थित Entod Pharmaceuticals ने इस चुनौती का सामना करने के लिए PresVu आई ड्रॉप्स विकसित की है, जिसे अक्टूबर 2024 से भारतीय बाजार में उपलब्ध कराया जाएगा।

प्रिस्बायोपिया: एक सामान्य दृष्टि समस्या

प्रिस्बायोपिया एक उम्र संबंधित दृष्टि विकार है, जिसमें व्यक्ति को पास की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है। यह समस्या उम्र बढ़ने के कारण लेंस की लचीलेपन की कमी के चलते होती है, जिससे लेंस की मोटाई बदलने की क्षमता घट जाती है। इस कारण से, आंखें पास की वस्तुओं को साफ़-साफ़ नहीं देख पातीं और पढ़ने के लिए चश्मे की आवश्यकता पड़ती है। लगभग 1.09 बिलियन से 1.80 बिलियन लोग विश्वभर में इस समस्या से पीड़ित हैं, और भारत में भी बड़ी संख्या में लोग इससे प्रभावित हैं।

PresVu आई ड्रॉप्स: चश्मे की ज़रूरत से छुटकारा

Entod Pharmaceuticals ने इस गंभीर दृष्टि समस्या का समाधान ढूंढने के लिए वर्षों तक अनुसंधान और विकास किया। PresVu आई ड्रॉप्स को प्रिस्बायोपिया के इलाज के लिए विशेष रूप से विकसित किया गया है। इस आई ड्रॉप्स का अद्वितीय फॉर्मूला और एडवांस्ड डायनेमिक बफर तकनीक इसे अन्य उत्पादों से अलग बनाती है। इस तकनीक के माध्यम से, यह आई ड्रॉप्स आंखों के आंसू के pH के अनुसार तुरंत अनुकूलित हो जाती है, जिससे लंबे समय तक प्रभावी और सुरक्षित रहती है।

DGCI और CDSCO द्वारा मंजूरी

PresVu आई ड्रॉप्स को भारतीय ड्रग नियामक एजेंसी, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI), से अंतिम मंजूरी प्राप्त हो चुकी है। यह मंजूरी Central Drugs Standard Control Organisation (CDSCO) के Subject Expert Committee (SEC) की सिफारिश के बाद मिली। इस मंजूरी से Entod Pharmaceuticals को अपने इस उत्पाद को भारत में लॉन्च करने की अनुमति मिल गई है।

पेटेंट और सुरक्षा

Entod Pharmaceuticals ने PresVu आई ड्रॉप्स के फॉर्मूला और उसके निर्माण प्रक्रिया के लिए पेटेंट के लिए आवेदन किया है। इस पेटेंट से यह सुनिश्चित होता है कि इस अनोखी तकनीक का इस्तेमाल केवल Entod Pharmaceuticals द्वारा ही किया जा सकेगा। यह आई ड्रॉप्स न केवल प्रिस्बायोपिया से छुटकारा दिलाने में मदद करती है, बल्कि आंखों की नमी बनाए रखने में भी सहायक है। इस ड्रॉप्स को लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सकता है, और यह उपयोग में सुरक्षित है।

क्लिनिकल संभावनाएँ और विशेषज्ञों की राय

PresVu आई ड्रॉप्स की क्लिनिकल संभावनाओं को देखते हुए, डॉक्टर और विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रिस्बायोपिया के इलाज के लिए एक नॉन-इनवेसिव और प्रभावी विकल्प हो सकती है। डॉक्टर धनंजय बाखले, जो नेत्ररोग विशेषज्ञ हैं, ने कहा, “PresVu की मंजूरी नेत्र विज्ञान के क्षेत्र में एक आशाजनक विकास है। यह आई ड्रॉप्स प्रिस्बायोपिया से पीड़ित मरीजों के लिए चश्मे के बिना निकट दृष्टि को बढ़ाने का एक नॉन-इनवेसिव विकल्प प्रदान करती है।”

डॉक्टर आदित्य सेठी ने इस आई ड्रॉप्स की त्वरित प्रभावशीलता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह आई ड्रॉप्स 15 मिनट के भीतर निकट दृष्टि को बढ़ाने का काम करती है। यह उन लोगों के लिए बहुत लाभकारी है, जिन्हें अचानक पढ़ने या निकट दृष्टि की ज़रूरत होती है।

जीवन में सुधार और उत्पाद की विशेषताएँ

PresVu आई ड्रॉप्स का उपयोग करने से न केवल लोगों को चश्मे से छुटकारा मिलेगा, बल्कि यह उनके दैनिक जीवन और उत्पादकता में भी सुधार ला सकता है। निखिल के. मसरकर, जो Entod Pharmaceuticals के CEO हैं, ने कहा, “PresVu वर्षों की समर्पित अनुसंधान और विकास का परिणाम है। यह सिर्फ एक उत्पाद नहीं है, बल्कि यह एक समाधान है, जो लाखों लोगों के जीवन में सुधार लाकर उन्हें बेहतर दृष्टि स्वतंत्रता प्रदान करेगा।”

उपलब्धता और मूल्य निर्धारण

PresVu आई ड्रॉप्स अक्टूबर 2024 के पहले सप्ताह से भारतीय फार्मेसियों में उपलब्ध होगी। इसकी कीमत मात्र 350 रुपये होगी, जो कि इसकी गुणवत्ता और प्रभावशीलता के मुकाबले किफायती है। यह ड्रॉप्स डॉक्टर के पर्चे पर ही मिलेगी, और इसे विशेष रूप से 40 से 55 वर्ष के व्यक्तियों में हल्के से मध्यम प्रिस्बायोपिया के इलाज के लिए डिज़ाइन किया गया है।

भविष्य की संभावनाएँ

इस तरह की नवाचार भरी तकनीक ने दृष्टि समस्याओं के इलाज में एक नई दिशा दी है। PresVu जैसी आई ड्रॉप्स नेत्र विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण विकास का प्रतीक है, जो आगे चलकर और भी प्रभावशाली हो सकती है। अगर यह उत्पाद सफल होता है, तो इसका इस्तेमाल न केवल भारत में, बल्कि विश्वभर में किया जा सकता है, जिससे लाखों लोग चश्मे की ज़रूरत से मुक्ति पा सकेंगे।

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