100 करोड़ की नौकरी खोई, फिर भी हार नहीं मानी! भारतीय Parag Agarwal की नई AI कंपनी का सफर।

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दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों को आजकल भारतीय मूल के आईआईटी ग्रेजुएट्स ही चला रहे हैं। इन्हीं में से एक नाम है पराग अग्रवाल का, जिन्हें हाल ही में 100 करोड़ की सैलरी पर जॉब से निकाला गया था। मगर इस झटके के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और आज वे अपनी खुद की AI फर्म चला रहे हैं।

कौन हैं पराग अग्रवाल?

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X, जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था, उसे एलोन मस्क ने 44 बिलियन डॉलर में खरीद लिया था। इस सौदे के बाद मस्क ने कंपनी में कई बड़े बदलाव किए, जिनमें से सबसे पहला कदम था कंपनी के CEO को निकालना। उस वक्त पराग अग्रवाल ट्विटर का नेतृत्व कर रहे थे और काफी पॉपुलर भी थे।

पराग अग्रवाल की IIT-JEE में ऑल इंडिया रैंक (AIR) 77 थी। जब उन्हें ट्विटर का सीईओ बनाया गया, तो उन्होंने मीडिया और सोशल मीडिया पर काफी सुर्खियाँ बटोरी थीं। उस समय उनकी सैलरी लगभग ₹8 करोड़ थी, और इसके अलावा ₹94 करोड़ के स्टॉक इकाइयों के साथ कुल सैलरी पैकेज ₹100 करोड़ से भी ज्यादा था।

क्यों निकाले गए Parag Agarwal?

ब्लूमबर्ग के कुर्ट वैगनर की किताब के अनुसार, पराग ने मस्क के प्राइवेट जेट की लोकेशन ट्रैक करने वाले अकाउंट को ब्लॉक करने की रिक्वेस्ट को अस्वीकार कर दिया था। यह घटना ट्विटर के अधिग्रहण सौदे से पहले की थी। जैसे ही मस्क ने ट्विटर का अधिग्रहण किया, उन्होंने पराग अग्रवाल को तुरंत बर्खास्त कर दिया और उस अकाउंट को ब्लॉक कर दिया गया।

जॉब जाने के बाद पराग ने क्या किया?

नौकरी जाने के बाद, पराग अग्रवाल लगभग ₹400 करोड़ का विदाई भुगतान पाने के हकदार थे, लेकिन उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला। इसके बाद पराग और अन्य पूर्व ट्विटर अधिकारियों ने मस्क के खिलाफ मुकदमा दायर किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्हें ₹1000 करोड़ से ज्यादा के विदाई भुगतान से वंचित किया गया।

पराग अग्रवाल की नई शुरुआत: AI फर्म

आज पराग अग्रवाल AI सेक्टर में प्रगति कर रहे हैं। उन्होंने अपने नए वेंचर के लिए लगभग ₹249 करोड़ की फंडिंग हासिल की है। उनकी नई AI फर्म का उद्देश्य लार्ज लैंग्वेज मॉडल्स के साथ काम करने वाले डेवलपर्स के लिए सॉफ्टवेयर तैयार करना है, जो कि ओपनएआई के चैटजीपीटी की तकनीक जैसा है।

रिपोर्टों के अनुसार, खोसला वेंचर्स के विनोद खोसला और ओपनएआई के शुरुआती सपोर्टर पराग की कंपनी में निवेश का नेतृत्व कर रहे हैं। इसके साथ ही इंडेक्स वेंचर्स और फर्स्ट राउंड कैपिटल ने भी इस फंडिंग राउंड में भाग लिया है।

नतीजा: हार न मानने की प्रेरणा

पराग अग्रवाल की कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ आएँ, हमें अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहना चाहिए। चाहे उन्हें 100 करोड़ की नौकरी से क्यों न निकाला गया हो, पराग ने अपने आत्मविश्वास से एक नई राह बनाई और आज अपनी AI कंपनी के जरिये सफलता की नई ऊँचाइयों को छू रहे हैं।

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